अभिमन्यु पार्ट -2 में आपने पढ़ा कि जन सेवक संगठन कि मीटिंग मेँ प्रधानमंत्री ह्त्या और उसके क्या परिणाम हुए एवं देश मेँ किस तरह परिस्थिति बदली, चर्चा का विषय आगे बढ़ता इससे पहले एक सदस्य ने प्रश्न किया कि पूर्व प्रधान मंत्री अमित कुमार कि हत्या क्यों कि गयी ?
अब मीटिंग का विषय बदल गया, मुख्य वक्ता महेश कुमार को थोड़ी देर रुकना पड़ा, थोड़ी देर रुकने के बाद महेश कुमार ने सबाल का जबाब देते हुए बताया कि अमित कुमार कि हत्या के पीछे अमित कुमार कि नीतियाँ थी। अमित कुमार राजनीति मेँ नए थे, या यूं कहें कि प्रधान मंत्री कि कुर्सी उन्हे प्लेट मेँ सजी हुई मिली थी।
जब प्रधान मंत्री कि हत्या हुई तो पूरे देश मेँ दंगे भड़क गए सिखों की ह्त्या सुनियोजित तरीके से वोटर लिस्ट निकाल कर की जा रही थी, जिसमेँ अमित कुमार की पार्टी के कई नेता शामिल थे, बाद में कुछ पर आरोप भी तय हुए कोर्ट द्वारा दोषी भी ठहराए गए। इन सुनियोजित दंगों को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने मेँ देर की जिसके कारण सिर्फ दिल्ली मेँ ही लगभग 3000 सिखों की हत्या कर दी गई करीब 15000 सिखों को विस्थापित होना पड़ा।
महेश कुमार कुछ देर शांत रहने के बाद फिर बोले अमित कुमार की सबसे बड़ी भूल कार सेवकों कि हत्या थी कुछ समय बाद हुए आम चुनाव मेँ अमित कुमार कि पार्टी को हार मुख देखना पड़ा, अमित कुमार कि पार्टी 404 से 197 पर सिमट गई अमित कुमार को 204 सीटों पर हार का सामना करना पढ़ा वहीं इनके मित्र और सहयोगी के ॰ पी॰ सिंह जो इनसे नाराज होकर अलग हो गए थे 143 सीटों पर जीतकर बाम दल तथा जन तांत्रिक पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाने मैं कामयाब हो गए ।
के पी सिंह को प्रधान मंत्री बना दिया गया परंतु गठबंधन का एक धढ़ा के पी सिंह को प्रधान मंत्री नहीं बनाना चाहता था। इसलिए देवी सिंह को उप प्रधान मंत्री बनाकर मामले को शांत कर दिया गया। प्रधान मंत्री बनने के बाद केपी सिंह ने अमित कुमार के कुछ निर्णय बदल दिये जिसमे श्री लंका से सेना वापिस बुलाना भी एक था ।
केपी सिंह भी गणतांत्रिक पार्टी की तरह मुस्लिम वोटर को खुश करना चाहते थे, इसलिए एक कश्मीरी मुसलमान सईद खान को गृह मंत्री बना दिया इसके क्या दुष्परिणाम निकले इस विषय पर बाद में बात करते हैं पहले अमित कुमार की हत्या की बात करते हैं ।
राजन भारत में सत्ता परिवर्तन के बाद अपने दो सहयोगी लक्ष्मी और कार्तिक के साथ मद्रास आ गया मद्रास में उसके मित्र स्वामी एवं उसकी पत्नी नीलम से मिला, नीलम और स्वामी ने राजन एवं उसके दोस्तों का दिल खोलकर स्वागत किया। दरअसल स्वामी श्री लंका का रहने बाला था मद्रास में नीलम से मुलाक़ात हुई और दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे। शादी के बाद स्वामी मद्रास मे ही बस गया।
` राजन स्वामी का मित्र था, इसलिए वह स्वामी स्वामी से मिला
भारत में जब भी किसी बड़े नेता का कार्यक्रम होता तभी राजन भारत आता, नीलम के घर उनकी कई घंटों तक मीटिंग चलती फिर पांचों किसी भी प्रकार से कार्यक्रम में हिस्सा लेते कार्तिक राजन का फोटो सीनियर नेताओ के साथ खीचता था, राजन मंच के पास पहुचकर नेताओ के झुककर पैर छूता लक्ष्मी भी नेताओ के आसपास रहने का प्रयास करती।
जब सब इंस्पेक्टर नेहा ने काला चश्मा पहने एक व्यक्ति को पीएम केपी सिंह के पैर छूते देखा तो वह दंग रह गई कि यह आदमी पीएम के इतने पास कैसे पहुच गया। मीटिग के बाद नेहा ने उसका पीछा किया लेकिन वह भीड़ में कहाँ गायब हो गया नेहा को पता ही नहीं चला।
कुछ दिन बाद फिर एक बड़े नेता कि मीटिग थी नेहा को वही चश्मे बाला नज़र आया, इस बार नेहा ने सावधानी से उसका पीछा किया लेकिन वह नीलम के घर के पास आकर फिर गायब हो गया । नेहा नीलम को जानती थी इस लिए उसने नीलम पर नज़र रखना शुरू कर दिया अगले दिन वही काले चश्मे वाला नेताजी के साथ मीटिग में फोटो खिचवा रहा था, फोटो ग्राफर कार्तिक था, नीलम और उसकी किराएदार लक्ष्मी भी नेता जी साथ मंच पर थी । नेहा के दिमाग में आया कुछ तो गढ़ -बढ़ है। लेकिन क्या? नेहा का दिमाग चक्कर खाने लगा।
कुछ दिन के बाद हालत फिर बदल गए सत्ता में उलट फेर हुआ केपी सिंह को पीएम की कुर्सी से हटा दिया गया उनके स्थान पर शेखर सिंह को पीएम बना दिया गया । पीएम बनने के बाद शेखर सिंह की आमसभा देश के अलग -अलग स्थानों पर होने लगीं ।
एक दिन नेहा ने टेलीविज़न पर देखा की वही काले चश्मे बाला व्यक्ति शेखर सिंह की सभा में पीएमके बहुत करीब बैठा है ,पीएम के भाषण समाप्त होने के बाद वह पीएम पास गया उसने पीएम के पैर छूए और चला गया ।
नेहा के समझ में नहीं आ रहा था आखिर यह है कौन ? इसका पीएम से क्या संबंध पहले केपी सिंह की हर सभा में दिखाई देता था अब शेखर सिंह की सभा में दिखाई देता है। इसका मद्रास से क्या सबंध है? यह विचार नेहा के मन मेँ चल ही रहे थे तभी उसे नीलम ख्याल आया हो न हो इसका संबंध नीलम से जरूर है क्योंकि उसने पहली बार उसे नीलम के घर के पास ही देखा था।
नेहा ने नीलम पर नज़र रखना शुरू कर दिया, आखिर एक दिन उसकी मेहनत रंग लाई वह नीलम के घर के पास दिखाई दिया , नेहा ने उसका पीछा किया वह नीलम के घर गया,, बंद दरवाजे की पीछे क्या बात हुई नेहा यह तो नहीं जान सकी लेकिन उसे यह समझ मेँ आ रहा था, चार -पाँच घंटे चली इस मीटिंग मेँ कुछ तो गड़- बड़ है।
नेहा ने अपने सीनियर अधिकारियों को सारा घटना क्रम बताया लेकिन कोई भी इस नतीजे पर नहीं पहुच पाया आखिर क्या गड़ -बड़ होने बाली है/। यह काले चश्मे बाला कौन है? वह पीएम की सभा मेँ कैसे पहुचताहै ? ऐसे कई सबाल थे जिनका जबाब न तो नेहा के पास था और न ही उसके बड़े अधिकारियों के पास ।
कश्मीर मेँ आतंकवादी गतिविधियां चरम पर थी, कश्मीरी हिन्दुओ की हत्या हो रही थी, घाटी आतंक की आग मेँ जल रहा था। हजारों कश्मीरी हिन्दू घाटी छोड़ कर जा रहा थे। आतंकवादी घटनाओं के विरोध मेँ जन तांत्रिक पार्टी ने सरकार से अपना समर्थन वापिस ले लिया, शेखर सिंह की सरकार अल्पमत मेँ आ गयी जिससे देश मेँ मध्य अवधि चुनाव आ गए।
अब अमित कुमार के पास सरकार मेँ वापिसी का मौका था। उसके लिए वे तैयार थे, पूरे देश मेँ अमित कुमार ने सभाए करना शुरू कर दिया , अमित कुमार की लोकप्रियता चरम पर थी लाखों लोग उनकी सभा मेँ जाते हजारों लोग उनसे हाथ मिलाने की कोशिश करते, सेंकड़ों लोग उनकी गाड़ी के पास जाकर आटोग्राफ लेते।
अमित कुमार अपनी आमसभा के समय किसी से भी मिलते बात करते अगर कोई कुछ खाने दे तो बेझिझक कुछ भी खा लेते, कहने का मतलब किसी भी प्रकार के प्रोटोकाल का पालन करना मुश्कल था, अमित कुमार का जादू चल रहा था गणतांत्रिक पार्टी फिर वापिसी की ओर थी। अधिकांश सीटों पर जीत हासिल हो रही थी। मद्रास के बाद अमित कुमार की सभा पेरुन्दर मेँ थी।
नेहा लगातार नीलम की हर गतिविधि पर नज़र रख रही थी। नेहा ने देखा कि कार्तिक एक खूबसूरत हार खरीद रहा था, हार खरीदने के बाद कार्तिक नीलम के घर कि ओर चलने लगा,नेहा ने कार्तिक का पीछा किया उसने देखा कि काले चश्मे बाला नीलम के घर मौजूद था। नेहा ने सिर्फ इतना सुना कि लक्ष्मी तुम्हें यह हार अमित कुमार को पहनाना है और उसके पैर छूना है बाकी सब हम देख लेंगे, उनकी मीटिंग खत्म हो गई।
नेहा का दिमाग चक्कर खा रहा था। वह किसी भी तरह अमित कुमार की आम सभा तक पहुचना चाहती थी, उसकी मोटर साइकल बहुत तेज दौड़ रही थी। वह आम सभा पर पहुच भी नहीं पायी थी की उसने देखा अमित कुमार की गाड़ी की ओर हजारों लोग पहुच गए, अमित कुमार के स्वागत के लिए जो कार्पेट बिछाया था उस पर मात्र 25 लोगों को जाना था लेकिन वहाँ सैकड़ों की संख्या मेँ लोग अमित कुमार को घेरे हुए थे कोई हाथ मिलाने की कोशिश कर था कोई आटोग्राफ मांग रहा था।
नेहा की नज़र भीड़ मेँ उस काले चश्मे बाले पर पड़ी वह लोगों को अमित कुमार के पास जाने के लिए निर्देशित कर रहा था, तभी सरोजनी की बेटी कोकिला गाना सुनाने लगी, नेहा ने देखा की लक्ष्मी के हाथ मेँ वही हार जो कार्तिक ने खरीदा था, लक्ष्मी हार लेकर अमित कुमार की ओर बड़ी तभी नेहा ज़ोर से चिल्लाई रुको, लेकिन अमित कुमार ने इशारे से कहा, आने दो लक्ष्मी ने हार पहनाया और झुककर अमित कुमार के पैर छूने लगी तभी एक धमाका हुआ नेहा धमाके से दूर जाकर गिरी। जब होश आया तो चारों तरफ लाशों के छितड़े पड़े हुए थे जिनमें दो लाशें अमित कुमार और लक्ष्मी की थीं -------------------------शेष आगे
अनुवाद के नतीजे
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