पूर्व प्रधान मंत्री की हत्या क्यों? अभिमन्यु पार्ट -3

अभिमन्यु पार्ट -2 में आपने पढ़ा कि जन सेवक संगठन कि मीटिंग मेँ प्रधानमंत्री ह्त्या और उसके क्या परिणाम हुए एवं देश मेँ किस तरह परिस्थिति बदली,  चर्चा का विषय आगे बढ़ता इससे पहले एक सदस्य ने  प्रश्न किया कि पूर्व प्रधान मंत्री अमित कुमार कि हत्या क्यों कि गयी ? 

अब मीटिंग का विषय बदल  गया,  मुख्य वक्ता महेश कुमार को थोड़ी देर रुकना पड़ा, थोड़ी देर रुकने के बाद महेश कुमार ने सबाल का जबाब देते हुए बताया कि अमित कुमार कि हत्या के पीछे अमित कुमार कि नीतियाँ थी। अमित कुमार राजनीति मेँ नए थे,  या यूं कहें कि प्रधान मंत्री कि कुर्सी उन्हे प्लेट मेँ सजी हुई मिली थी। 

जब प्रधान मंत्री कि हत्या हुई तो पूरे देश मेँ दंगे भड़क गए सिखों की ह्त्या सुनियोजित तरीके से वोटर लिस्ट निकाल कर की जा रही थी,  जिसमेँ अमित कुमार की पार्टी के कई नेता शामिल थे, बाद में कुछ पर आरोप भी तय हुए कोर्ट द्वारा दोषी भी ठहराए गए।   इन सुनियोजित दंगों को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने मेँ देर की जिसके कारण सिर्फ दिल्ली मेँ ही लगभग 3000 सिखों की हत्या कर दी गई करीब 15000 सिखों को विस्थापित होना पड़ा। 

महेश कुमार ने आगे चर्चा करते हुआ बताया कि अमित कुमार ने मुस्लिम तुस्टीकरण को बढ़ावा दिया जिससे हिन्दू संगठन अमित कुमार से नाराज हो गए,  अपनी गलती छुपाने के लिए राम मंदिर के द्वार खुलवाकर हिन्दू संगठनों को साधने का असफल प्रयास किया, जिसके कारण राम मंदिर आंदोलन और उग्र हो गया, हजारों कार सेवक मंदिर के पास जाने का प्रयास कर रहे थे तभी पुलिस ने गोलियां चला दी जिसमें  कई कार सेवक घायल हो गए तथा सरकारी आंकड़ों के अनुसार 18 कार सेवक मारे गए। 

महेश कुमार कुछ देर शांत रहने के बाद फिर बोले अमित कुमार की  सबसे बड़ी भूल कार सेवकों कि हत्या थी कुछ समय बाद हुए आम चुनाव मेँ अमित कुमार कि पार्टी को हार मुख देखना पड़ा,  अमित कुमार कि पार्टी 404 से 197 पर सिमट गई अमित कुमार को 204 सीटों पर हार का सामना करना पढ़ा वहीं इनके मित्र और सहयोगी के  ॰ पी॰ सिंह जो इनसे नाराज होकर अलग हो गए थे 143 सीटों पर जीतकर बाम दल तथा जन तांत्रिक पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाने मैं कामयाब हो गए । 

    के पी सिंह को प्रधान मंत्री बना दिया गया परंतु गठबंधन का एक धढ़ा के पी सिंह को प्रधान मंत्री नहीं बनाना चाहता था।  इसलिए देवी सिंह को उप प्रधान मंत्री बनाकर मामले को शांत कर दिया गया।  प्रधान मंत्री बनने के बाद केपी सिंह ने अमित कुमार के कुछ निर्णय बदल दिये जिसमे श्री लंका से सेना वापिस बुलाना भी एक था । 

केपी सिंह भी गणतांत्रिक पार्टी की तरह मुस्लिम वोटर को खुश करना चाहते थे, इसलिए एक कश्मीरी मुसलमान सईद खान को गृह मंत्री बना दिया इसके क्या दुष्परिणाम निकले इस विषय पर बाद में बात करते हैं पहले अमित कुमार की हत्या की बात करते हैं । 

राजन भारत में सत्ता परिवर्तन के बाद अपने दो सहयोगी लक्ष्मी और कार्तिक के साथ मद्रास आ गया मद्रास में उसके मित्र स्वामी एवं उसकी पत्नी नीलम से मिला, नीलम और स्वामी ने राजन एवं उसके दोस्तों का दिल खोलकर स्वागत किया।  दरअसल स्वामी श्री लंका का रहने बाला था मद्रास में नीलम से मुलाक़ात हुई और दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे। शादी के बाद स्वामी मद्रास मे ही बस गया। 

` राजन स्वामी का मित्र था, इसलिए वह स्वामी स्वामी से मिला

और कार्तिक एवं लक्ष्मी को उनके पास छोड़ कर चला गया, कार्तिक एक अच्छा फोटो ग्राफर था, इसलिए स्वामी ने एक ऑफिस में उसे फोटो ग्राफर की नौकरी दिला दी। नीलम ने लक्ष्मी की  पहचान गणतांत्रिक पार्टी की नेता सरोजनी से  करा दी सरोजनी की बेटी कोकिला लक्ष्मी की हमउम्र थी, अत; उन दोनों की जल्दी दोस्ती हो  गई दोनों एक दूसरे के साथ रहने लगी।  

भारत में जब भी किसी बड़े नेता का कार्यक्रम होता तभी राजन भारत आता,  नीलम के घर उनकी कई घंटों तक मीटिंग चलती फिर पांचों किसी भी प्रकार से  कार्यक्रम  में हिस्सा लेते कार्तिक राजन का  फोटो सीनियर नेताओ  के साथ खीचता था, राजन मंच के पास पहुचकर नेताओ  के झुककर पैर छूता लक्ष्मी भी नेताओ  के आसपास रहने का प्रयास करती। 

जब सब इंस्पेक्टर नेहा ने  काला चश्मा पहने एक व्यक्ति को पीएम केपी सिंह के पैर छूते देखा तो वह दंग  रह गई कि यह आदमी पीएम के इतने पास कैसे   पहुच गया। मीटिग के बाद नेहा ने उसका पीछा किया लेकिन वह भीड़ में कहाँ गायब हो गया नेहा को पता ही नहीं चला। 

कुछ दिन बाद फिर एक बड़े नेता कि मीटिग थी नेहा को वही चश्मे बाला नज़र आया,  इस बार नेहा ने सावधानी से उसका पीछा किया लेकिन वह नीलम के घर के पास आकर फिर गायब हो गया । नेहा नीलम को जानती थी इस लिए उसने नीलम पर नज़र रखना शुरू कर दिया अगले दिन वही काले  चश्मे वाला नेताजी के साथ मीटिग में फोटो खिचवा रहा था, फोटो ग्राफर कार्तिक था, नीलम और उसकी किराएदार लक्ष्मी भी नेता जी साथ  मंच पर थी । नेहा के दिमाग में आया कुछ तो गढ़ -बढ़ है। लेकिन क्या?  नेहा का दिमाग चक्कर खाने लगा।

   कुछ दिन के बाद हालत फिर बदल गए  सत्ता में उलट फेर हुआ केपी सिंह को पीएम की कुर्सी से हटा दिया गया उनके स्थान पर शेखर सिंह को पीएम बना दिया गया । पीएम बनने के बाद शेखर सिंह की आमसभा  देश के अलग -अलग स्थानों पर होने लगीं । 

एक दिन नेहा ने टेलीविज़न पर देखा की वही काले चश्मे बाला व्यक्ति शेखर सिंह की  सभा में पीएमके  बहुत करीब बैठा है ,पीएम के भाषण समाप्त होने के बाद वह पीएम पास गया उसने पीएम के पैर छूए और चला गया । 

नेहा के समझ में नहीं आ  रहा था आखिर यह है कौन ?  इसका पीएम से क्या संबंध  पहले केपी सिंह की हर सभा में दिखाई देता था अब शेखर सिंह की सभा में दिखाई देता है। इसका मद्रास से क्या सबंध है? यह विचार नेहा के मन मेँ चल ही रहे थे तभी उसे नीलम ख्याल आया हो न हो इसका संबंध नीलम से जरूर है क्योंकि उसने पहली बार उसे नीलम के घर के पास ही देखा था। 

नेहा ने नीलम पर नज़र रखना शुरू कर दिया, आखिर एक दिन उसकी मेहनत रंग लाई वह नीलम के घर के पास दिखाई दिया , नेहा ने उसका पीछा किया वह नीलम के  घर गया,, बंद दरवाजे की पीछे क्या बात हुई नेहा यह तो नहीं जान सकी लेकिन उसे यह समझ मेँ आ  रहा था, चार -पाँच घंटे चली इस मीटिंग मेँ कुछ तो गड़- बड़ है। 

नेहा ने अपने सीनियर अधिकारियों को सारा घटना क्रम बताया लेकिन कोई भी इस नतीजे पर नहीं पहुच  पाया आखिर क्या गड़ -बड़ होने बाली है/।  यह काले चश्मे बाला कौन है? वह पीएम की सभा मेँ कैसे पहुचताहै ? ऐसे कई  सबाल थे जिनका जबाब न तो नेहा के पास था और न ही उसके बड़े अधिकारियों के पास । 

कश्मीर मेँ आतंकवादी गतिविधियां चरम पर थी,  कश्मीरी हिन्दुओ की हत्या हो रही थी, घाटी आतंक की आग मेँ जल रहा था।  हजारों  कश्मीरी हिन्दू घाटी छोड़ कर जा रहा थे। आतंकवादी घटनाओं के विरोध मेँ  जन तांत्रिक पार्टी ने सरकार से अपना समर्थन वापिस ले लिया, शेखर सिंह की सरकार अल्पमत मेँ आ गयी जिससे देश मेँ मध्य अवधि चुनाव  आ गए। 

अब अमित कुमार के पास सरकार मेँ वापिसी का मौका था। उसके लिए वे तैयार थे, पूरे देश मेँ अमित कुमार ने सभाए करना शुरू कर दिया , अमित कुमार की लोकप्रियता चरम पर थी लाखों लोग उनकी सभा मेँ जाते हजारों लोग उनसे हाथ मिलाने की कोशिश करते, सेंकड़ों लोग उनकी गाड़ी के पास जाकर आटोग्राफ लेते। 

अमित कुमार अपनी आमसभा के समय किसी से भी मिलते बात करते अगर कोई कुछ खाने दे तो बेझिझक कुछ भी खा लेते, कहने का  मतलब किसी भी प्रकार के प्रोटोकाल का पालन करना मुश्कल था,  अमित कुमार का जादू चल रहा था गणतांत्रिक पार्टी फिर वापिसी की ओर  थी। अधिकांश सीटों पर जीत हासिल हो रही थी। मद्रास के बाद अमित कुमार की सभा पेरुन्दर मेँ थी। 

नेहा लगातार नीलम की हर गतिविधि पर नज़र रख रही थी।   नेहा ने देखा कि कार्तिक एक खूबसूरत हार खरीद रहा था, हार खरीदने के बाद कार्तिक नीलम के घर कि ओर चलने लगा,नेहा ने कार्तिक का पीछा किया उसने देखा कि काले चश्मे बाला नीलम के घर मौजूद था।  नेहा ने सिर्फ इतना सुना कि लक्ष्मी तुम्हें यह हार अमित कुमार को पहनाना है और उसके पैर छूना है बाकी सब हम देख लेंगे, उनकी मीटिंग खत्म हो गई।

नेहा का दिमाग चक्कर खा रहा था।  वह किसी भी तरह अमित कुमार की आम सभा तक पहुचना चाहती थी, उसकी मोटर साइकल बहुत तेज दौड़ रही थी।  वह आम सभा पर पहुच भी नहीं पायी थी की उसने देखा अमित कुमार की गाड़ी की ओर हजारों लोग पहुच गए, अमित कुमार के स्वागत के लिए जो कार्पेट बिछाया था उस पर मात्र 25 लोगों को जाना था लेकिन वहाँ सैकड़ों की संख्या मेँ लोग अमित कुमार को घेरे हुए थे कोई हाथ मिलाने की कोशिश कर था कोई आटोग्राफ मांग रहा था। 

नेहा की नज़र  भीड़ मेँ उस काले चश्मे बाले पर पड़ी वह लोगों को अमित कुमार के पास जाने के लिए निर्देशित कर रहा था, तभी सरोजनी की बेटी कोकिला गाना सुनाने लगी, नेहा ने देखा की लक्ष्मी के हाथ मेँ वही हार जो कार्तिक ने खरीदा था, लक्ष्मी हार लेकर अमित कुमार की ओर बड़ी तभी नेहा ज़ोर से चिल्लाई रुको, लेकिन  अमित कुमार ने इशारे से कहा,  आने दो लक्ष्मी ने हार पहनाया और झुककर अमित कुमार के पैर छूने लगी तभी एक धमाका हुआ नेहा धमाके से  दूर जाकर गिरी।  जब होश आया तो चारों तरफ लाशों के छितड़े पड़े हुए थे  जिनमें दो लाशें अमित कुमार और लक्ष्मी की थीं -------------------------शेष आगे 

 

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अनुवाद के नतीजे

In Abhimanyu Part-2, you read that in the meeting of the Jan Sevak Sangathan, what were the consequences of the assassination of the Prime Minister and how the situation changed in the country, before the topic of discussion went ahead, a member asked why the murder of former Prime Minister Amit Kumar. was it done?

Now the subject of the meeting changed, the keynote speaker Mahesh Kumar had to wait for a while, after a while, Mahesh Kumar, while replying to Sabal, told that Amit Kumar's policies were behind Amit Kumar's murder. Amit Kumar was new to politics, or rather, the Prime Minister's chair was found adorned in a plate. When the Prime Minister was assassinated, riots broke out in the whole country, the killing of Sikhs was being done in a systematic manner by taking out the voter list, in which many leaders of Amit Kumar's party were involved, later some were also accused guilty by the court. were also appointed. There was a delay in taking effective steps to stop these planned riots, due to which about 3000 Sikhs were killed in Delhi alone, about 15,000 Sikhs had to be displaced. Mahesh Kumar further discussed that Amit Kumar promoted Muslim appeasement, due to which Hindu organizations got angry with Amit Kumar, to hide his mistake, he tried unsuccessfully to reach out to Hindu organizations by opening the doors of Ram temple, due to which Ram temple The agitation further intensified, as thousands of kar sevaks were trying to approach the temple when the police opened fire in which several kar sevaks were injured and according to official figures 18 kar sevaks were killed. Mahesh Kumar, after remaining calm for some time, again said Amit Kumar's biggest mistake was the killing of kar sevaks He had to face defeat in 204 seats, while his friend and ally K. P. Singh, who had parted ways with him, was successful in forming the government with the Bam Dal and the Jan Tantrik Party, winning 143 seats. KP Singh was made the Prime Minister but a section of the coalition did not want KP Singh to be the Prime Minister. Therefore, the matter was pacified by making Devi Singh the Deputy Prime Minister. KP Singh also wanted to please the Muslim voter like the republican party, so a Kashmiri Muslim made Saeed Khan as the Home Minister, what were the consequences of this, let's talk later on this subject, first let's talk about the murder of Amit Kumar. Rajan came to Madras with his two associates Lakshmi and Karthik after the change of power in India, met his friend Swami and his wife Neelam in Madras, Neelam and Swami welcomed Rajan and his friends openly. Actually Swami was a resident of Sri Lanka, met Neelam in Madras and both fell in love with each other. After marriage, Swami settled in Madras. Rajan was Swami's friend, so he met Swami Swami and left Karthik and Lakshmi with him, Karthik was a good photographer, so Swami got him a job as a photographer in an office. Neelam got Lakshmi identified with Sarojini, the leader of the Republican Party. Sarojini's daughter Kokila was the same age as Lakshmi; Both of them quickly became friends, both of them started living with each other. Whenever there was a program of a big leader in India, only then Rajan would come to India, their meeting went on for several hours at Neelam's house, then all five used to take photos of Karthik Rajan with senior leaders, taking part in the program in any way, Rajan reached the stage and leaders. Leaning to touch her feet, Lakshmi also tried to be around the leaders. When Sub Inspector Neha saw a man wearing black glasses touching the feet of PM KP Singh, she was stunned how this man got so close to the PM. After the meeting, Neha followed him but Neha did not know where he disappeared in the crowd. A few days later, a big leader was meeting again, Neha saw the same spectacles, this time Neha followed him carefully but he disappeared again near Neelam's house. Neha knew Neelam, so she started tracking Neelam. Something that came to Neha's mind is a stronghold. But what? Neha's mind started spinning. After a few days, the situation changed again, there was a reversal in power, KP Singh was removed from the PM's chair, Shekhar Singh was made PM in his place. After becoming the PM, Shekhar Singh's general meetings started taking place at different places in the country. One day Neha saw on television that the same dark glasses person was sitting very close to the PM in Shekhar Singh's meeting, after PM's speech was over, he went to PM, he touched PM's feet and left. Neha could not understand who this is? What was its relation with the PM, which was earlier visible in every meeting of KP Singh, now it is visible in Shekhar Singh's meeting. What does this have to do with Madras? These thoughts were going on in Neha's mind when she thought of Neelam or not, it is definitely related to Neelam because she first saw her near Neelam's house.
Neha's eyes fell on that black glasses in the crowd, he was directing people to go to Amit Kumar, then Sarojini's daughter Nightingale started singing, Neha saw the same necklace that Karthik had bought in Laxmi's hand. , Laxmi went big towards Amit Kumar with the necklace, then Neha shouted loudly, then Amit Kumar said with a gesture, let Laxmi put on the necklace and bowed down and started touching Amit Kumar's feet, then there was an explosion Neha fell away from the blast. When I regained consciousness, there were dead bodies scattered all around, in which two bodies were of Amit Kumar and Laxmi ------------------------- rest further

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